सर्वोच्च न्यायालय ने अचुच्छेद 370 और 35 ए के हटाने के फैसले को रखा बरकरार. शीर्ष अदालत ने इस तथ्य को भली भांति माना है कि अनुच्छेद 370 का स्वरूप स्थाई नहीं.
नई दिल्ली | सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 370 और 35 ए को निरस्त करने का फैसला सुनाया है. शीर्ष अदालत ने भारत की संप्रभुता और अखंडता बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट का यह कहना पूरी तरह से उचित है कि 5 अगस्त 2019 को हुआ निर्णय संवैधानिक एकीकरण को बढ़ावा के उद्देश्य से लिया गया था , ना कि इसका उद्देश्य विघटन था. शीर्ष अदालत ने इस तथ्य को भली भांति माना है कि अनुच्छेद 370 का स्वरूप स्थाई नहीं था. जम्मू कश्मीर एक राजनीतिक मुद्दा नहीं था, बल्कि यह विषय समाज की आकांक्षाओं को पूरा करने के बारे में था.
डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू मंत्रिमंडल में एक महत्वपूर्ण विभाग मिला हुआ था. और वह काफी लंबे समय तक सरकार में बने रहना चाहते थे. फिर भी उन्हें कश्मीर मुद्दे पर मंत्रिमंडल छोड़ दिया और आगे का कठिन रास्ता चुना भले ही इसको कीमत उनको अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. लेकिन अथक प्रयासों और बलिदानों से करोड़ों भारतीय कश्मीर मुद्दे से भावनात्मक रूप से जुड गए.
कई वर्षों बाद अटल जी ने श्रीनगर में एक सार्वजनिक बैठक में इंसानियत और कश्मीरियत का प्रभावशाली संदेश दिया. जो सदैव ही प्रेरणा का महान स्रोत भी रहा है. अनुच्छेद 370 और 35 ए जम्मू कश्मीर और लद्दाख के सामने बड़ी बाधाओं की तरह थे. इसके कारण जम्मू कश्मीर के लोगों को वह अधिकार और विकास कभी नहीं मिला सका जो उनके साथी देशवासियों को मिला.
इन अनुच्छेदों के कारण एक ही राष्ट्र के लोगों के बीच दूरियां पैदा हो गई. जम्मू कश्मीर के लोग विकास चाहते थे वह अपनी ताकत और कौशल के आधार पर भारत के विकास में योगदान देना चाहते थे. वह अपने बच्चों के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता चाहते थे ऐसा जीवन जो हिंसा और अनिश्चितता से मुक्त हो.
जम्मू कश्मीर के लोग सेवा करते समय हमेशा तीन बातों को प्रमुखता दी नागरिकों की चिताओं को समझना सरकार के कार्यों के माध्यम से अपनी विश्वास का निर्णय करना तथा विकास निरंतर विकास को प्राथमिकता देना जम्मू कश्मीर में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से मिलने का अवसर मिला. इन संवादों में एक बात समान, समान रूप से उभरती है कि लोग न केवल विकास चाहते हैं बल्कि वह दशकों से व्याप्त भ्रष्टाचार से भी मुक्त होना चाहते हैं.