जातियों के मात्रात्मक त्रुटि में हुआ सुधार, समाज ने जताया मुख्यमंत्री का आभार
अब शासन की योजनाओं का ले सकेंगे लाभ
रायपुर। आरक्षित जातियों से होकर भी शासन की योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाने वाले हजारों आदिवासियों को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के प्रयास से न सिर्फ एक बड़ा न्याय मिला, अपितु वर्षों से जाति के शब्दों में हुई मात्रात्मक त्रुटियों के दंश से भी छुटकारा मिल गया। छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयास से भारत सरकार ने भेजे गए प्रस्ताव अनुसार मात्रात्मक त्रुटियों वाली जातियों को अनुसूचित जनजातियों में शामिल करने की अधिसूचना भी जारी कर दी। अपनी एक बड़ी मांग पूरी होने के बाद इस समाज से जुड़े लोगों ने आज मुख्यमंत्री श्री बघेल का न सिर्फ आभार जताया, बल्कि अपनी खुशियों का इजहार करने और धन्यवाद देने के साथ फूल माला लेकर स्वागत भी किया।
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज जब रायगढ़ जिले के आदिवासी बहुल इलाके धरमजयगढ़ विधानसभा क्षेत्र में लोगों से भेंट-मुलाकात कर रहे थे और अधिकारियों की समीक्षा बैठक लेकर शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन की जानकारी ले रहे थे तो आदिवासी समाज के सैकड़ों लोगों ने उनसे मिलकर अपनी खुशी का इजहार किया। जाति के शब्दों में मात्रात्मक त्रुटियां होने से अनेक शासकीय योजनाओं के लाभ से वंचित आदिवासियों ने कहा कि अब अपने बच्चों को योजनाओं का लाभ जरूर मिलेगा। गोंड समाज के श्री विद्यानंद सिदार ने मुख्यमंत्री को इस प्रयास के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि वे शब्दों में त्रुटि की वजह से योजनाओं का लाभ नहीं ले पाए थे। अब वे और उनके बच्चे शासन की योजना का लाभ ले पाएंगे। नगेसिया समाज के श्री भरतलाल ने कहा कि अब उनके भी बच्चे नौकरी प्राप्त कर पाएंगे। जाति प्रमाणपत्र भी बन जायेगा। संवरा समाज के मदन भोय ने कहा कि यह बहुत ही खुशी की बात है कि जिस मात्रात्मक त्रुटि के सुधार के लिए वर्षों से चक्कर काट रहे थे और योजनाओं के लाभ से वंचित थे, वह समस्या अब खत्म हो गई है। मुख्यमंत्री को इसके लिए गाड़ा-गाड़ा बधाई। श्रीमती अर्चना सिदार और धनवार समाज की रथ बाई ने कहा कि अनुसूचित जनजाति मानने से उनके बच्चों को छात्रावासों में जगह मिल पाएगी और उनके बच्चे अच्छे से पढ़कर बेहतर भविष्य बना पाएंगे। पंडो समाज के प्रतिनिधि ने भी मुख्यमंत्री का आभार जताते हुए कहा कि हम लोगों ने भी इस समस्या से मुख्यमंत्री को अवगत कराया था। अब उनके प्रयास से समस्या का निराकरण हो गया है। यह बहुत बड़ी राहत की बात है।